Tuesday, June 11, 2024

चार बचाए

चार बचाए

सैकड़ों ढाए

हमको क्या

कोई जीए या जाए


दुख-सुख हैं मौसम जैसे

आते-जाते ही रहते हैं 

जो एक बचाए, लाख गवाएँ

वो अवतार राम कहलाए


ख़ून-ख़राबे के अलावा कोई हल नहीं है 

बात-बेबात पे लोग लड़े हैं

बातों से कभी कोई बात बनी नहीं है

हार-जीत के बिना कोई त्योहार नहीं है 


रावण मरा दीवाली मन गई 

कोई और मरा होली मन गई 


राहुल उपाध्याय । 11 जून 2024 । सिएटल 


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