Saturday, May 17, 2025

इतवारी पहेलीः 2025/05/18


इतवारी पहेली:


जल-थल-नभ से कर के ### #

एक नई ऊर्जा देश भर में ## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 मई 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 मई 2025 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेलीः 2025/05/11



On Sun, May 11, 2025 at 5:47 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


जिनके भी थे मुँह #%#, ###

बोलेः मज़ा चखाओ #%## # से


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 मई 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 मई 2025 । सिएटल 




पाषाण

वो भी तुम्हें 

सूँघेगा 

चूमेगा 

छुएगा 

भरेगा अपनी बाँहों में


वो किसी और को भी 

सूँघेगा 

चूमेगा 

छुएगा 

भरेगा अपनी बाँहों में


तुम

हम तीनों का मन बहलाती हो


वह

तुम्हारा और उसका मन बहलाता है 


वस्त्र, भोजन, घर, मित्र 

सब एक से ज़्यादा होने चाहिए 


एक से पेट नहीं भरता 

भरना भी नहीं चाहिए 


भूख है तो जीवन है 

संतुष्ट रहना

यानी पाषाण होना 


राहुल उपाध्याय । 17 मई 2025 । सिएटल 


Friday, May 16, 2025

नासमझ है समाज

नासमझ है समाज कहता है जो

ख़ुद को बुरा-भला कहता है वो 


किसको पड़ी कैसा है तू 

हँसना है हँस, रोना है रो 


रहता ही क्या कुछ मुझमें मेरा पाप भी जो लेता मैं धो


कई दिन हुए, न कविता हुई 

लिखना ही क्यूँ जब कहना न हो


ये दुख, ये दर्द, कुछ होता नहीं 

यदि एक न होते इंसान ये दो


राहुल उपाध्याय । 16 मई 2025 । सिएटल 





Sunday, May 11, 2025

इतवारी पहेलीः 2025/05/11


इतवारी पहेली:


जिनके भी थे मुँह #%#, ###

बोलेः मज़ा चखाओ #%## # से


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 मई 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 मई 2025 । सिएटल 




Sunday, May 4, 2025

Re: इतवारी पहेली: 2025/04/27



On Sun, Apr 27, 2025 at 12:53 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


सारी रात सो न पाई # # ## 

चाय पीने से यही होता है ####


(पहली पंक्ति का पहला शब्द अंग्रेज़ी का है। दूसरी पंक्ति का शब्द अंग्रेज़ी का है)


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 4 मई 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 27 अप्रैल 2025 । सिएटल 




इतवारी पहेली: 2025/05/04


इतवारी पहेली:


खाने में जायका लाता है जीरावन

रामायण का खलनायक है जी रावण


(इस पहेली में ण और न की ध्वनि को एक मान लिया गया है)


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 11 मई 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 4 मई 2025 । सिएटल