Saturday, May 17, 2025

पाषाण

वो भी तुम्हें 

सूँघेगा 

चूमेगा 

छुएगा 

भरेगा अपनी बाँहों में


वो किसी और को भी 

सूँघेगा 

चूमेगा 

छुएगा 

भरेगा अपनी बाँहों में


तुम

हम तीनों का मन बहलाती हो


वह

तुम्हारा और उसका मन बहलाता है 


वस्त्र, भोजन, घर, मित्र 

सब एक से ज़्यादा होने चाहिए 


एक से पेट नहीं भरता 

भरना भी नहीं चाहिए 


भूख है तो जीवन है 

संतुष्ट रहना

यानी पाषाण होना 


राहुल उपाध्याय । 17 मई 2025 । सिएटल 


इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: