वो भी तुम्हें
सूँघेगा
चूमेगा
छुएगा
भरेगा अपनी बाँहों में
वो किसी और को भी
सूँघेगा
चूमेगा
छुएगा
भरेगा अपनी बाँहों में
तुम
हम तीनों का मन बहलाती हो
वह
तुम्हारा और उसका मन बहलाता है
वस्त्र, भोजन, घर, मित्र
सब एक से ज़्यादा होने चाहिए
एक से पेट नहीं भरता
भरना भी नहीं चाहिए
भूख है तो जीवन है
संतुष्ट रहना
यानी पाषाण होना
राहुल उपाध्याय । 17 मई 2025 । सिएटल
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