किसी को खाना खिलाना ही काफ़ी नहीं होता है
पानी भी पिलाना होता है
हाथ भी धुलवाना पड़ता है
तौलिया भी देना पड़ता है
तौलिया धोने के लिए
साबुन, बाल्टी, ब्रश का इंतज़ाम करना होता है
सुखाने के लिए तार या रस्सी भी चाहिए
अगले दिन बाथरूम भी मुहैया कराना होता है
किसी को खाना खिलाना कोई बच्चों का खेल नहीं है
राहुल उपाध्याय । 22 मई 2025 । सिएटल
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