Thursday, November 20, 2025

कभी भूल गया, कभी याद रहा

कभी भूल गया, कभी याद रहा 

कभी चुप रहा, कभी बोल गया 


जग ने समझा मैं उन्हें भूल गया 

ख़ुद रास्ता मैंने बदल लिया 


अब कौन कहाँ किसी के साथ है 

किसने किसका है साथ दिया


हाथापाई से न दो पाई हाथ आ पाई 

उल्टा जो हाथ में था वो भी मिटा


कर लो कितना ही गुणा-भाग तुम 

जो घटना था वो सदा घटा


राहुल उपाध्याय । 20 नवंबर 2025 । सिएटल 



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4 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सत्य है

हरीश कुमार said...

सुन्दर

Anita said...

याद-भूलना, पाना-खोना, सुख-दुख !! दो से ही बना है जीवन का ताना-बाना

M VERMA said...

जो याद रहा वहीं साथ रहा
बेह्तरीन