मैंने कहा
मेरी तरफ़ देखो
उसने देखा
मैंने कहा
मेरा हाथ पकड़ो
उसने पकड़ा
मैंने कहा
साड़ी पहन लो
उसने पहन ली
और इस कविता में उसे
अपना अक्स नज़र आए
इससे ज़्यादा और क्या चाहिए
राहुल उपाध्याय । 1 दिसम्बर 2025 । सिएटल
मैंने कहा
मेरी तरफ़ देखो
उसने देखा
मैंने कहा
मेरा हाथ पकड़ो
उसने पकड़ा
मैंने कहा
साड़ी पहन लो
उसने पहन ली
और इस कविता में उसे
अपना अक्स नज़र आए
इससे ज़्यादा और क्या चाहिए
राहुल उपाध्याय । 1 दिसम्बर 2025 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:34 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
ऊपर क्लिक कर देखें कि इस कविता पर किसने क्या कहा?
इतवारी पहेली:
सौ करोड़ यदि हो तो न करो # ## का
इलज़ाम लग सकता है धन ### का
(पहली पंक्ति का पहला शब्द अंग्रेज़ी का है)
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 7 दिसम्बर 2025 को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 30 नवम्बर 2025 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:32 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
ऊपर क्लिक कर देखें कि इस कविता पर किसने क्या कहा?
इतवारी पहेली:
चुनाव का नतीजा वाक़ई #### है
वहाँ दस बुद्धिमान नहीं # ### हैं
(दूसरी पंक्ति के पहले अक्षर पर चन्द्रमा है, जैसे कि छँटनी में छ पर है)
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 30 नवम्बर 2025 को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 23 नवम्बर 2025 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:31 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
ऊपर क्लिक कर देखें कि इस कविता पर किसने क्या कहा?
मैं इस बार थोड़ा वैट करूँगा
जल्दबाज़ी में न दुख व्यक्त करूँगा
किसी के व्यंग्य का ना पात्र बनूँगा
सारी रील्स देखकर पुष्टि करूँगा
चिता ठंडी होने तक धैर्य रखूँगा
रोना-धोना बेकार न जाए
इसलिए आँसू रोक रखूँगा
जब सब कह चुके होंगे तब कहूँगा
भीड़ से अलग मैं अपनी बात रखूँगा
एक से बढ़कर एक याद जुटाकर
सबसे अलग एक संस्मरण लिखूँगा
फिर कहीं घर वो लौट न आए
मेहनत सारी बेकार न जाए
बेटे मुझ पर न लानत भेजे
परिजन मुझे न एटिकेट सिखाए
इसलिए इस बार मैं वैट करूँगा
चिता ठंडी होने तक धैर्य धरूँगा
राहुल उपाध्याय । 24 नवम्बर 2025 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:50 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
ऊपर क्लिक कर देखें कि इस कविता पर किसने क्या कहा?
इतवारी पहेली:
चुनाव का नतीजा वाक़ई #### है
वहाँ दस बुद्धिमान नहीं # ### हैं
(दूसरी पंक्ति के पहले अक्षर पर चन्द्रमा है, जैसे कि छँटनी में छ पर है)
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 30 नवम्बर 2025 को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 23 नवम्बर 2025 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:01 AM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
ऊपर क्लिक कर देखें कि इस कविता पर किसने क्या कहा?
इतवारी पहेली:
दस नहीं ला सकती तो # ## #
फूटी क़िस्मत कभी कुछ ## ##
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 23 नवम्बर 2025 को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 16 नवम्बर 2025 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 11:57 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
ऊपर क्लिक कर देखें कि इस कविता पर किसने क्या कहा?
कभी भूल गया, कभी याद रहा
कभी चुप रहा, कभी बोल गया
जग ने समझा मैं उन्हें भूल गया
ख़ुद रास्ता मैंने बदल लिया
अब कौन कहाँ किसी के साथ है
किसने किसका है साथ दिया
हाथापाई से न दो पाई हाथ आ पाई
उल्टा जो हाथ में था वो भी मिटा
कर लो कितना ही गुणा-भाग तुम
जो घटना था वो सदा घटा
राहुल उपाध्याय । 20 नवंबर 2025 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:03 PM
आपका क्या कहना है??
4 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
ऊपर क्लिक कर देखें कि इस कविता पर किसने क्या कहा?