न वोटर हूँ, न लीडर हूँ
उछालता सब पर कीचड़ हूँ
निंदा करने की 'बग' है मुझमें
कहता इसको 'फ़ीचर' हूँ
देश की जनता को कहता हूँ पागल
ख़ुद को बताता मैं हटकर हूँ
इसको नहीं, तुम मत उसको देना
ई-मेल से देता नसीहत हूँ
समस्याओं से लड़ने का उपदेश हूँ देता
और स्वयं भटकता दर-दर हूँ
देश के हित का ढोल हूँ पीटता
और बन बैठा विदेशी सिटिज़न हूँ
सत्ता बदलना चाहूँ किंतु
घर को नहीं होता रूखसत हूँ
कहने को एक एन-आर-आई हूँ लेकिन
पतली गली से भागा गीदड़ हूँ
सिएटल 425-445-0827
10 अप्रैल 2009
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'बग' = bug; 'फ़ीचर' = feature;
सिटिज़न = citizen; एन-आर-आई = NRI;
Friday, April 10, 2009
न वोटर हूँ, न लीडर हूँ
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:57 PM
आपका क्या कहना है??
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2 comments:
न वोट दूं और न टेक्स दूं
डकारता मैं सब कुछ हूँ।
बढ़िया कविता के लिए बधाई।
Bahut mubarak Rahul ji...
Sach kahu, mujhe aapki rachnaye, kam hi pasand aati hai..
But this i liked it a lot...
Bahutttttttttttttt hi badhia...
Really loved it...
Good luck !!!
http://tanhaaiyan.blogspot.com
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