प्यार का रंग न बदला
इज़हार का ढंग न बदला
आँखों में वही खुशबू
होठों पे वही थिरकन
सांसों में वही गर्मी
सीने में वही धड़कन
क्षण-क्षण वही हैं लक्षण
कुछ भी तो नहीं बदला
प्यार का रंग न बदला
इकरार का ढंग न बदला
दबा के दाँतों ऊँगली
ला के गालों पे लाली
अब भी जताती है प्यार
प्यार जताने वाली
प्यार का प्यारा इशारा
अब तक नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला
इंतज़ार का ढंग न बदला
दरवज्जे पे गाड़े अँखियाँ
रस्ता तकती है गोरी
अब भी रातों को जागकर
तारें गिनती है गोरी
पिया मिलन का सपना
आज भी नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला
तकरार का ढंग न बदला
अब भी ताने है कसती
अब भी कुट्टी है करती
नाक पे रख के गुस्सा
पगली अब भी है लड़ती
प्यार का प्यारा झगड़ा
अब भी नहीं है बदला
प्यार का रंग न बदला
संसार का ढंग न बदला
अब भी जलती है दुनिया
अब भी पिटते हैं मजनू
प्यार मिटाने वाले
अब भी मिलते हैं हर सू
प्यार प्यार ही बाँटे
प्यार न लेता बदला
ज़माना जो चाहे कर ले
प्यार न जाए बदला
सिएटल 425-445-0827
29 अप्रैल 2009
Wednesday, April 29, 2009
प्यार का रंग न बदला
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:23 PM
आपका क्या कहना है??
4 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
प्यार में ही संसार है सांसारिक यह प्यार।
बदले प्यार का ढ़ंग तब जब बदले संसार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
प्यार का रंग न बदला
इज़हार का ढंग न बदला
बहुत बढ़िया बिंदास रचना . धन्यवाद.
सच्चे प्यार का रंग तो waisa ही रहेगा ... और ijhare mohabbat भी waisa ही रहेगा
बहुत अच्छी rachna
मेरा अपना जहान
Bahut Acchhaa likha hai Rahul Ji
Post a Comment