आप जाने की ज़िद न करो
यूँही डॉलर कमाते रहो
हाय, मर जाएंगे
हम तो लुट जाएंगे
ऐसी बातें किया न करो
खुद ही सोचो ज़रा, क्यों न रोकेंगे हम?
जो भी जाता है रो-रो के आता है फिर
आपको अपनी क़सम जान-ए-जां
बात इतनी मेरी मान लो
आप जाने की ...
कद्र करते हैं देश की बहुत हम मगर
चंद डॉलर यही हैं जिनसे कुछ शान है
इनको खोकर कहीं, जान-ए-जां
उम्र भर न तरसते रहो
आप जाने की ...
कितना कुछ पाया हमने आ के यहाँ
कार और घर की चाबी भी है हाथ में
कल भटकना क्यूँ दर-दर जान-ए-जां
बात मानो यहीं पे रहो
आप जाने की …
सिएटल 425-898-9325
1 जुलाई 2009
(फ़ैयाज़ हाशमी से क्षमायाचना सहित)
यूँही डॉलर कमाते रहो
हाय, मर जाएंगे
हम तो लुट जाएंगे
ऐसी बातें किया न करो
खुद ही सोचो ज़रा, क्यों न रोकेंगे हम?
जो भी जाता है रो-रो के आता है फिर
आपको अपनी क़सम जान-ए-जां
बात इतनी मेरी मान लो
आप जाने की ...
कद्र करते हैं देश की बहुत हम मगर
चंद डॉलर यही हैं जिनसे कुछ शान है
इनको खोकर कहीं, जान-ए-जां
उम्र भर न तरसते रहो
आप जाने की ...
कितना कुछ पाया हमने आ के यहाँ
कार और घर की चाबी भी है हाथ में
कल भटकना क्यूँ दर-दर जान-ए-जां
बात मानो यहीं पे रहो
आप जाने की …
सिएटल 425-898-9325
1 जुलाई 2009
(फ़ैयाज़ हाशमी से क्षमायाचना सहित)
8 comments:
vaah vaah mere baccho ko bhee samajhaaiye vo aane kee jid kar rahe hain unko aapaki kavita bhej detee hoon aabhaar
bahut hi badhiyaa lagi udhed bun............aisi udhed bun ki jarurat hai hamme se har ek ko
सुन्दर पैरोडी!
Waah ! Waah ! Waah ! itna lay me likha hai aapne kee bas,kahin tartamy nahi toota...lajawaab !!
bahut badhiya kya khoob ghajalody banai hai.
और फिर मौसम भी तो इतना हसीन है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
achhi khasi ghazal ka postmartam kar diya...Achha hai
bahut achhi lagi bhai. aise hi likhate raho.
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