14 सितम्बर की पहेलियों का हल:
1.
जब भी कहीं लगा न मन
साधु संतों को किया नमन
2.
यह बात सच सौ फ़ीसदी है
कि आरक्षण वालों ने कम फ़ीस दी है
3.
जिन्हें सताते हरिकेन हैं
क्या वे भक्त हरि के न हैं?
4.
इठलाती हसीनाओं को कभी अपना ना गिन
क्या पता कब डस लें बन के नागिन
बोनस:
तुम्हारी बाहों ने दी थी मुझे कल पनाह
वो सच था या थी कोरी कल्पना?
Monday, December 28, 2009
14 सितम्बर की पहेलियों का हल:
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:47 PM
आपका क्या कहना है??
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2 comments:
बढ़िया पहेली रही!!
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
Rahulji,
Wish you HAPPY HEALTHY & PROSPEROUS 2010. Your writting is great and I am sure it's inspire to every one.
Thanks and keep it up,
Sincerely,
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