लाल रोशनी के
दो गोलों के पीछे
मैं खुद को इतना सुरक्षित समझता हूँ
कि
60 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही कार की
स्टीयरिंग व्हील पकड़े
मैं
बेगम अख़्तर की
अलसाती हुई ठुमरी
बड़ी तन्मयता के साथ
सुन सकता हूँ
सुरक्षा
असुरक्षा
कल का भय
आज की चिंता
ये सब
मनगढ़ंत हैं
या
परिवेश के जाए हैं
सिएटल । 425-445-0827
16 अप्रैल 2010
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जाए = offsprings
Friday, April 16, 2010
मनोदशा
Posted by Rahul Upadhyaya at 2:04 PM
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2 comments:
nice
सही कहा आपने!
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