Friday, April 16, 2010

मनोदशा

लाल रोशनी के
दो गोलों के पीछे
मैं खुद को इतना सुरक्षित समझता हूँ
कि
60 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही कार की
स्टीयरिंग व्हील पकड़े
मैं
बेगम अख़्तर की
अलसाती हुई ठुमरी
बड़ी तन्मयता के साथ
सुन सकता हूँ


सुरक्षा
असुरक्षा
कल का भय
आज की चिंता
ये सब
मनगढ़ंत हैं
या
परिवेश के जाए हैं


सिएटल । 425-445-0827
16 अप्रैल 2010
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जाए = offsprings

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