Monday, May 24, 2010

बड़ी बहन

बड़ी बहन जब बढ़ी हो रही थी
माँ को चिंता बड़ी हो रही थी
जब जो चाहे खा ले पी ले
कैसे होगे हाथ इसके पीले?
एक समय थी फूल सी काया
अब खा-खा के फूल रही है!


एक मिली ताई आतातायी
बोली बंद करो दुध-मलाई
सूखी रोटी में सुख है भाई
माँ को बात तुरंत ये भाई


लड़्डू-पेड़ा हलवा-पूड़ी
सब के सब तालों में पड़े थे
जैसे घुन के साथ गेंहू पीसा है
वैसे ही बहन के साथ हम भी पीसे थे


हमने भी एक तरकीब लगाई
एक बढ़ई से दोस्ती बढ़ा कर
बिन ताला तोड़े अलमारी खुलाई
और बड़े शौक से बेढ़ई खाई


जब माँ ने देखा कि बच्चे शैतान हैं निकले
तो तुरत-फ़ुरत फिर एक इश्तेहार निकाला
मिले वर जो हो बी-ए-सी-ए
हो मैनेजर, न हो सुंदर पी-ए
न दारू पीए, न दारू पिलाए
सारी तनख़्वाह घर पे लाए


दूर देस से एक आया पी-के
कहने लगा नहीं आया पी के
वो तो मेरा बस नाम है पी-के
और लगा बखारने जी-के


और मस्का तो वो ऐसा मारे
कि सुबह-शाम लगे पाँव सासू-जी के


कहने लगा मैं इसे खुश रखूँगा
जो ये कहेगी मैं वहीं करूँगा
कसम खाता हूँ रोए-रोए की मैं
विदा के बाद न कभी रोएगी ये


बड़ी लगन से हमने लगन कराए
शादी में खूब पकवान पकाए


दूल्हा-दुल्हन खूब मगन थे
खा-खा के हुए दुगने बदन थे


तब पोल खुल के सामने आई
कि दोनो को प्रिय है बहुत मिठाई


जैसे मिटी मेरी माँ की उलझन
हे ईश्वर मिटे हम सब की उलझन
जैसी दुल्हन वैसा दुल्हा,
मिले सब को हे दु:ख-भंजन


सिएटल । 425-445-0827
24 मई 2010
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बी-ए-सी-ए = BA/CA
पी-ए = PA or Personal Assistant
पी-के = P.K.
जी-के = GK or General Knowledge

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1 comments:

दिलीप said...

wah achchi haaya kavita....pk ka istemaal bahut jama...