ज़िंदगी, मौत और तलाक़
एक ही तस्वीर के तीन पहलू हैं
एक में
वो खींची जाती है
दूसरे में
सजाई जाती है
तीसरे में
फाड़ दी जाती है
=॰=
ज़िंदगी मिलती है
मौत आती है
तलाक़ होता है
वैसे ही
जैसे
दोस्त मिलते हैं
रात आती है
और
सवेरा होता है
=॰=
जब कोई सब कुछ छीन लेता है
तो उसे तलाक़ "देना" क्यों कहते हैं?
सिएटल । 425-445-0827
1 जून 2010
एक ही तस्वीर के तीन पहलू हैं
एक में
वो खींची जाती है
दूसरे में
सजाई जाती है
तीसरे में
फाड़ दी जाती है
=॰=
ज़िंदगी मिलती है
मौत आती है
तलाक़ होता है
वैसे ही
जैसे
दोस्त मिलते हैं
रात आती है
और
सवेरा होता है
=॰=
जब कोई सब कुछ छीन लेता है
तो उसे तलाक़ "देना" क्यों कहते हैं?
सिएटल । 425-445-0827
1 जून 2010
4 comments:
अपने मनोभावों को सुन्दर शब्द दिए है।बधाई।
nice post
बहुत सुन्दर.
ज़िंदगी मिलती है
मौत आती है
तलाक़ होता है
kuch assa ho hai shayad
ज़िंदगी मिलती है
तलाक़ होता है
मौत आती है
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