Tuesday, June 1, 2010

ज़िंदगी, मौत और तलाक़

ज़िंदगी, मौत और तलाक़
एक ही तस्वीर के तीन पहलू हैं


एक में
वो खींची जाती है
दूसरे में
सजाई जाती है
तीसरे में
फाड़ दी जाती है
=॰=
ज़िंदगी मिलती है
मौत आती है
तलाक़ होता है


वैसे ही
जैसे
दोस्त मिलते हैं
रात आती है
और
सवेरा होता है
=॰=
जब कोई सब कुछ छीन लेता है
तो उसे तलाक़ "देना" क्यों कहते हैं?


सिएटल । 425-445-0827
1 जून 2010

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4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

अपने मनोभावों को सुन्दर शब्द दिए है।बधाई।

माधव( Madhav) said...

nice post

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर.

Shekhar Kumawat said...

ज़िंदगी मिलती है
मौत आती है
तलाक़ होता है

kuch assa ho hai shayad

ज़िंदगी मिलती है
तलाक़ होता है
मौत आती है