मैं और मेरी बेरोज़गारी, अक्सर ये बातें करते हैं
कि नौकरी होती तो कैसा होता,
मैं काम से आते वक़्त फूल लाता
बच्चों के लिए खिलौने लाता
मैं ये करता, मैं वो करता
नौकरी होती तो ऐसा होता, नौकरी होती तो वैसा होता
मैं और मेरी बेरोज़गारी, अक्सर ये बातें करते हैं
ये कहाँ आ गया मैं, यूँही द्वार-द्वार घूमते
मेरी आँखों के ही सामने, मेरे स्वप्न हैं सारे टूटते
ये स्टॉक है, या कौड़ी के भाव बिकते पेपर
ये यूरोप है, या दीवालियों का जमघट
ये बैंक है, या भिखारियों की चौखट
ये सरकार है, या चंद प्राणियों की बकबक
ये समंदर है, या तेल से लबलबाता तालाब
ये ज़िंदगी है, या शादी के दिन विधवा हुई एक दुल्हन
ये सोचता हूँ मैं कब से गुमसुम
कि जबकि अखबारों में भी ये खबर है
कि हालत सुधरेगी, एक न एक दिन सुधरेगी
मगर ये दिल है कि कह रहा है
कि नहीं सुधरेगी, कभी नहीं सुधरेगी
मैं हूँ भूख, ये हैं डॉलर, ये न हो तो मैं कहाँ हूँ?
इसे प्यार करने वाले हैं जहाँ पे, मैं वहाँ हूँ
मेरा जीना इसके अभाव में, बिल्कुल ही असम्भव है
ये कहाँ आ गया मैं, यूँही द्वार-द्वार घूमते
मेरी आँखों ही के सामने, मेरे स्वप्न हैं सारे टूटते
मेरी साँस साँस कोसे, कोई भी जो है लीडर
मेरा क्रोध लाजमी है, सारी बचत जो है सिफ़र
हुई और भी दयनीय, मेरी रेज़्यूमि बार-बार बदल के
ये कहाँ आ गया मैं, यूँही द्वार-द्वार घूमते
मेरी आँखों ही के सामने, मेरे स्वप्न हैं सारे टूटते
धन और दौलत के लोभ में, बना एन-आर-आई था मैं
इज़्ज़त और शोहरत के वास्ते, बना एन-आर-आई था मैं
एन-आर-आई तो बन गया, लेकिन कितना गरीब हूँ मैं
एक-एक पे-चैक को तरसता, एक बदनसीब हूँ मैं
दिल कहता है कि आज इस सच्चाई से पर्दा उठा दूँ
ख़याली पुलाव जो पकाता रहा, उसे भुला दूँ
और एन-आर-आई क्या बला है, दुनिया को बता दूँ
कि हाँ मैं एक लाचार हूँ, बेकार हूँ, बेरोज़गार हूँ
क्या यही दिन देखने के लिए बना एन-आर-आई था मैं?
ये कहाँ आ गया मैं, यूँही द्वार-द्वार घूमते
मेरी आँखों ही के सामने, मेरे स्वप्न हैं सारे टूटते
सिएटल | 425-898-9325
11 जून 2010
(जावेद अख़्तर से क्षमायाचना सहित)
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रेज़्यूमि = resume, CV, bio-data
एन-आर-आई = NRI
पे-चैक = pay cheque
Friday, June 11, 2010
मैं और मेरी बेरोज़गारी
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:04 PM
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Labels: August Read, nri, TG
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3 comments:
bahut khoob sirji...jajawaab
एक बेरोजगार के दर्द को खूब बयां किया है ..
Berozgaari ka rona bhi sarthak ho gayaa ...interesting
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