चरण स्पर्श करने वाले हाथ मिलाने लगे हैं
बदला है मौसम, गिरगिट बताने लगे हैं
यारो, यारी की ये दुनिया नहीं है
भाई साहब कह के लोग बुलाने लगे हैं
उन्हें देखते ही वो सब हरे हो गए
सुखाने में जिन्हें ज़माने लगे हैं
जिन्हें कहते थे जी भर के सुनाओ जी नगमें
आज वो ही हमें खूब पकाने लगे हैं
पढ़ने और सुनने की चीज़ है कविता
क्लिफ़ नोट्स के सहारे वो पढ़ाने लगे हैं
सिएटल । +1-513-341-6798
15 मई 2012
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क्लिफ़ नोट्स = Cliff Notes
4 comments:
कल 19/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
अच्छी प्रस्तुति
sundar prastuti
Very nice! Aaj kal kavita kaise padhi jaati hai, last ki lines uspar bahut achhi observation lagi:
"Padne aur sunne ki cheez hai kavita,
Cliff Notes ke sahaare woh padhaane lage hain."
Aisi hi ek aur baat aaj kal ke zamaane ki:
"Kabhi kehte thay karni hai lambi baatein,
ab bullet point aur agenda woh banaane lage hain."
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