ए भाई, ज़रा देखके खरीद
facebook ही नहीं apple भी
apple ही नहीं google भी,
google ही नहीं groupon भी
तू जहाँ धन लगाएगा,
वो तेरा -
घर नहीं,
गली नहीं,
गाँव नहीं,
कूचा नहीं,
बस्ती नहीं,
रस्ता नहीं,
स्टॉक मार्केट है,
और प्यारे,
स्टॉक मार्केट ये सर्कस है
और सर्कस में -
बड़े को भी, छोटे को भी
खरे को भी, खोटे को भी,
दुबले को भी, मोटे को भी,
ऊँचे को नीचे में,
महंगे को सस्ते में
बेच जाना यहाँ पड़ता है
और रिंग मास्टर के कोड़े पर -
कोड़ा जो भूख है
कोड़ा जो पैसा है,
कोड़ा जो क़िस्मत है
तरह-तरह नाच के दिखाना यहाँ पड़ता है
बार-बार रोना और गाना यहाँ पड़ता है
हीरो से जोकर बन जाना यहाँ पड़ता है
Yahoo से न सीखता है क्यूँ?
AOL को भूलता है क्यूँ?
सोच के खरीद
वरना इनके चंगुल में फ़ँस जाएगा
खरीदेगा एक बार
फिर खरीदता चला जाएगा
डॉट-कॉम है चीज़ क्या तभी जान पायेगा
हँसता हुआ आया है, रोता चला जाएगा
क्या है करिश्मा,
कैसा खिलवाड़ है
अप, अप
ओनर, बैंकर
लेते बाजी मार है
अप, अप
करते हैं कैश ये
देते हैं बेच ये
फिर भी हम इनसे सीखते नहीं यार हैं
और यहाँ तक कि
पैसा जितना खोते हैं
लुट जितना जाते हैं
उधार उतना लेते हैं
और स्टॉक पे स्टॉक लेते रहते यार हैं
कहिए श्रीमान आपका क्या विचार है?
सर्कस
हाँ बाबू, ये सर्कस है
और ये सर्कस है
शो तीन घंटे का
पहला घंटा हाईप है,
दूसरा करेक्शन है
तीसरा डाऊनग्रेड है
और उसके बाद - माँ नहीं, बाप नहीं
बेटा नहीं, बेटी नहीं, तू नहीं,
मैं नहीं, कुछ भी नहीं रहता है
रहता है जो कुछ वो - ख़ाली-ख़ाली कुर्सियाँ हैं
ख़ाली-ख़ाली तम्बू है, ख़ाली-ख़ाली घेरा है
बिना चिड़िया का बसेरा है, न तेरा है, न मेरा है
सिएटल,
18 मई 2012
(नीरज से क्षमायाचना सहित)
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डॉट-कॉम = .com
ओनर = owner
बैंकर = banker
कैश = cash
हाईप = hype
करेक्शन = correction
डाऊनग्रेड है = downgrade
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