Sunday, May 20, 2012

झुलसता हूँ मैं


झुलसता हूँ मैं
और तुम समझते हो कि
मैं छुट्टी कर गया

झूठ है कि
अमावस को मैं उगता नहीं
उगता तो हूँ
पर तुम्हें दिखता नहीं

और आज
जब दिखाई दे रहा हूँ
तो
तुम देख सकते नहीं
बड़े आए सच जानने वाले
तुम सच झेल सकते नहीं

झुलसता हूँ मैं
और तुम समझते हो कि...

सिएटल । 513-341-6798
20 मई 2012 (सूर्यग्रहण)


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1 comments:

Anonymous said...

Rahul, aapne "Hum Sub Ek Hain" mein kaha tha:

"Internet se mil jaati hain duniya ki khabrein,
TV ki raah main takta nahin.."

In kavitaon mein apne current events par itna achha aur itni jaldi likha hai, ki ab kehna padega:

"Rahul ki kavitaon se mil jaati hain duniya ki khabrein,
Internet ki bhi raah koi takta nahin.." :)