Wednesday, December 12, 2012

श्रद्धांजली

रहते थे विदेश में
विदेश में पाया सम्मान

शंका नहीं है कौशल की
करता हूँ उन्हें प्रणाम
रच कर यह कविता - जिसमें उनका नाम

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1 comments:

Anonymous said...

पंडित रवि शंकर जी की सितार मन को छू जाती है. अच्छा लगा की आपने उनके देहांत पर यह श्रद्धांजली लिखी और इतनी जल्दी publish की.

थोड़ा समय लगा कविता में पंडितजी का नाम दिखने में - दिमाग तेज़ नहीं चलता है...