कितनी सारी ई-मेल्स
बिन पढ़े ही
दफ़्न हो जाती है
अगली स्क्रीन में खिसक जाती है
बोल्ड की बोल्ड ही रह जाती है
और
कुछ ई-मेल्स
हज़ारों बार चैक करने पर भी
नहीं आती है
-x-x-x-
कैसी होगी वो?
क्या आज भी वो खिलखिला के हँसती है?
पाँव में पाजेब पहनती है?
बॉलकनी में आ के रूकती है?
बिल्ली को गोद में लेती है?
धूप में आँख मलती है?
नहीं नहीं
ये सब मन की खुराफ़ातें हैं
वक़्त के साथ सब बदल जाते हैं
घुंघरू टूट जाते हैं
बॉलकनी बंद हो जाती है
बिल्ली कहीं खो जाती है
धूप कुरूप हो जाती है
-x-x-x-
कितनी सारी ई-मेल्स
बिन पढ़े ही
दफ़्न हो जाती है
अगली स्क्रीन में खिसक जाती है
बोल्ड की बोल्ड ही रह जाती है
और
कुछ ई-मेल्स
हज़ारों बार चैक करने पर भी
नहीं आती है
18 मार्च 2013
सिएटल । 513-341-6798
बिन पढ़े ही
दफ़्न हो जाती है
अगली स्क्रीन में खिसक जाती है
बोल्ड की बोल्ड ही रह जाती है
और
कुछ ई-मेल्स
हज़ारों बार चैक करने पर भी
नहीं आती है
-x-x-x-
कैसी होगी वो?
क्या आज भी वो खिलखिला के हँसती है?
पाँव में पाजेब पहनती है?
बॉलकनी में आ के रूकती है?
बिल्ली को गोद में लेती है?
धूप में आँख मलती है?
नहीं नहीं
ये सब मन की खुराफ़ातें हैं
वक़्त के साथ सब बदल जाते हैं
घुंघरू टूट जाते हैं
बॉलकनी बंद हो जाती है
बिल्ली कहीं खो जाती है
धूप कुरूप हो जाती है
-x-x-x-
कितनी सारी ई-मेल्स
बिन पढ़े ही
दफ़्न हो जाती है
अगली स्क्रीन में खिसक जाती है
बोल्ड की बोल्ड ही रह जाती है
और
कुछ ई-मेल्स
हज़ारों बार चैक करने पर भी
नहीं आती है
18 मार्च 2013
सिएटल । 513-341-6798
4 comments:
"ख़ुराफ़ात' का मतलब शब्दकोष में देखा।
"क्या आज भी वो खिलखिला के हँसती है?
पाँव में पाजेब पहनती है?
बॉलकनी में आ के रूकती है?
बिल्ली को गोद में लेती है?
धूप में आँख मलती है?"
आँखों के सामने एक सुन्दर चित्र बना। दिल ने wish किया कि यह सब सच हो, कुछ न बदला हो, और जिस email का इंतज़ार है वो आ जाये।
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (20-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
e mails aur man ki khurafaaton ka connection achchha laga..
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