जीत कर भी कौन जीता है
आज जीते
कल हारे
यूँही घटनाक्रम चलता है
कोई भी समाधान स्थायी नहीं है
समाधान स्थायी होते
तो दशावतार नहीं होते
यह तो हम ही हैं
जो उत्सव मनाने को
लालायित रहते हैं
हर जीत को याद करके
हर्षित होते हैं
यह हम पर निर्भर है कि
हम पूरा चित्र देखें
और स्थितप्रज्ञ रहें
या
छोटी-छोटी ख़ुशियाँ मनाते रहें
और दुखों पे आँसू बहाते रहें
विजयदशमी, 2017
30 सितम्बर 2017
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