तुम थी मेरी
और मैं तुम्हारा
मुझको ये सब पता नहीं था
ज़िन्दगी के मेले
कटेंगे अकेले
किसी से कभी सुना नहीं था
तुमसे बिछड़ कर
जो सुख-चैन पाया
मर्ज़ था मेरा, दवा नहीं था
अच्छी थी बेचैन
करती वो रातें
जब नींद का कोई कतरा नहीं था
तड़पता था तुमको
बाँहों में लेने
तुमसा कोई दूजा नहीं था
राहुल उपाध्याय । 17 दिसम्बर 2023 । अम्सटर्डम
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