कण-कण में जिसका वास है
उसका भी अब घर-बार है
भक्तगणों का घमंड तो देखो
कहते किया हमने तैयार है
उसके बिना कुछ हो न पाए
फिर भी खुद को शाबाशी दे रहे
नेता-चारण सब हैं लट्टू
कर रहे चीत्कार हैं
पूजा आदि वहाँ हैं होती
जहां शांति का निवास है
भीड़-भाड़ में शो-बाज़ी करना
पूजा नहीं अहंकार है
मन्दिर है, मन्दिर ही रखो
नहीं करो इतना हंगामा
पढ़ो-लिखो, कुछ काम करो
यही समय की पुकार है
राहुल उपाध्याय । 27 दिसम्बर 2023 । अम्स्टर्डम से ब्रसल्स जाते हुए
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