Wednesday, February 12, 2025

वजन

मशीन बाथरूम में ही रखी है

जब वजन लेता हूँ 

तन पर एक कपड़ा भी नहीं होता है 

आज बुधवार था 

तो नाखून भी काट लिए

दाड़ी तो बना ही ली थी

बाद में याद आया कि 

नहा के लेना चाहिए 

शैम्पू से भी कुछ तो बाल हल्के हो जाएँगे 

फिर पाँव के नाखून भी काट लिए 

तब जाकर तसल्ली हुई 

कि वजन सही आया है 


राहुल उपाध्याय । 12 फरवरी 2025 । सिएटल 


Sunday, February 9, 2025

प्रतिद्वंद्वी हो जेल में

प्रतिद्वंद्वी हो जेल में

तो कैसी ये जीत है?

थाली बजाना

क्या कोई संगीत है?


मूरत रख देने से 

क्या मंदिर बन जाता है?

यूँ ही पड़ा रहने से 

शीशा पत्थर बन जाता है

वो पूजा कैसी पूजा है

जिस में प्रीत नहीं

यह कैसा सुर मंदिर है 

जिस में संगीत नहीं

गीत लिखे दीवारों पे 

गाने की रीत नहीं

(आनन्द बक्षी)


राहुल उपाध्याय । 9 फरवरी 2025 । सिएटल 


इतवारी पहेली: 2025/02/09

इतवारी पहेली:


ए-बी ने सी-डी से कहाः सुनो बहुत ## # है

एफ ने कहा हम सब में अच्छाई और ### है


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 16 फ़रवरी 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 9 फ़रवरी 2025 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2025/02/02


On Sat, Feb 1, 2025 at 6:45 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


ख डर गया और वो ### हो गया

क को सज़ा मिली, # ## हो गया


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 9 फ़रवरी 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 2 फ़रवरी 2025 । सिएटल 




Tuesday, February 4, 2025

निराश नहीं

जो ढूँढती थी मुझे फ़ेसबुक पर

अब देखती नहीं है स्टेटस भी


कैसे कोई 

साथ-साथ 

चलते-चलते साथ छोड़ दे

भीड़ में गुम हो

भीड़ में अकेला छोड़ दे


चाहा था जिसे दिल से

उससे आज दिल जल रहा 

मैं शिकायत परस्त नहीं 

पर उससे शिकायत कर रहा


आईं-गईं हज़ार और

आएँगी हज़ार और

पर इससे निराश होऊँ 

तो बात कुछ आगे बढ़े


जाने क्या है इस हूर में

कि उदास हूँ 

पर निराश नहीं 


राहुल उपाध्याय । 4 फ़रवरी 2025 । सिएटल 



Saturday, February 1, 2025

इतवारी पहेली: 2025/02/02


इतवारी पहेली:


ख डर गया और वो ### हो गया

क को सज़ा मिली, # ## हो गया


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 9 फ़रवरी 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 2 फ़रवरी 2025 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2025/01/26


On Sat, Jan 25, 2025 at 11:52 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


पोष्टिक है, पर कहे ### 

रोटी पे लगाऊँ? #? #, #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 2 फ़रवरी 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 26 जनवरी 2025 । सिएटल 




Monday, January 27, 2025

एक को तड़पा रही हो

एक को तड़पा रही हो

एक को तरसा रही हो

साड़ी पहन कर क्यों 

ग़ज़ब ढा रही हो


कत्ल किया तो किया

वो ठीक था मगर

ये रोज़-रोज़ क्यों 

किए जा रही हो


एक तो चोरी 

ऊपर से सीनाज़ोरी 

ये नए उसूल 

क्यों अपना रही हो


मजबूरी है उनकी कि

तुम्हें छोड़ नहीं रहे हैं 

और तुम हो कि नग़मे 

सुर में गा रही हो


आशिक़ी की हवा

ऐसी लगी तुमको

के कान्हा की बंसी

तुम बजा रही हो 


राहुल उपाध्याय । 27 जनवरी 2025 । सिएटल 





Saturday, January 25, 2025

इतवारी पहेली: 2025/01/26


इतवारी पहेली:


पोष्टिक है, पर कहे ### 

रोटी पे लगाऊँ? #? #, #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 2 फ़रवरी 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 26 जनवरी 2025 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2025/01/19



On Sun, Jan 19, 2025 at 2:32 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


लिखो सही, ## ##

जन्नत न दूर, है ### #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 26 जनवरी 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 19 जनवरी 2025 । सिएटल 




Thursday, January 23, 2025

तुम्हारी बेवफ़ाई से सीखा है मैंने

तुम्हारी बेवफ़ाई से सीखा है मैंने 

प्यार-वफ़ा सब तजा है मैंने 


ये दुनिया हसीन, रंगीन बहुत है

एक-एक रंग चखा है मैंने


जो तुमने किया, वो मैंने किया 

डंके की चोट पे किया है मैंने


चलो, हटो, तुम क्या समझोगे 

तुम्हें भी देख लिया है मैंने 


ज़िन्दगी मेरी कोई कहानी नहीं है 

एक-एक पल जी भर जिया है मैंने 


राहुल उपाध्याय । 23 जनवरी 2025 । सिएटल 




Monday, January 20, 2025

पहनाएँ मैंने

पहनाएँ मैंने, वो उतारे

ऐसे-कैसे वो दुलारे


चुनरी थी जो लाज तेरी

पड़ी थी वो सेज किनारे


मूक थे गहने, सर झुकाए

करते भी क्या वो बेचारे


कान की बाली, नाक की नथनी

सब थी चुप शर्म के मारे


भूल गई कैसे प्यार तू मेरा

लम्हे जो थे हमने गुज़ारे 

 

राहुल उपाध्याय । 20 जनवरी 2025 । सिएटल 


Sunday, January 19, 2025

इतवारी पहेली: 2025/01/19


इतवारी पहेली:


लिखो सही, ## ##

जन्नत न दूर, है ### #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 26 जनवरी 2025 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 19 जनवरी 2025 । सिएटल 




आँखों में मेरी कोई नहीं है

आँखों में मेरी कोई नहीं है

साँसों में मेरी बसती है राधा


मिलती है तो जैसे हूर है वो

जाने पे उसके बचता हूँ आधा


न बंधन कोई, न अनुबंध कोई 

सीधा-सच्चा रिश्ता है सादा


वो गाहे-बगाहे मुझे याद करे

न चाहिए कुछ इससे ज़्यादा 


बेवफ़ाई का हक़ है सबको लेकिन 

मुझसे न करे वो फिर दोबारा 


राहुल उपाध्याय । 19 जनवरी 2025 । सिएटल 



Saturday, January 18, 2025

तेरा-मेरी रिश्ता है ऐसा

तेरा-मेरा रिश्ता है ऐसा

जैसे सूरज-चाँद का फेरा


तू न हो तो मैं भी नहीं 

तुझसे ही तो है नूर मेरा


मिल के भी हम मिलते कहाँ है

व्यास हमारा जैसे का तैसा


कटते-कटते ही कटेगी ज़िन्दगी 

चार दिनों का न ये रैन बसेरा 


कोई पूछे हमसे तो न समझे

के दर्द ने हमें कितना है घेरा


राहुल उपाध्याय । 18 जनवरी 2025 । सिएटल 







वह रात-बेरात

वह रात-बेरात 

जग जाती है 

उठ जाती है

पढ़ लेती है मेरी कविता

कहने को कह देती है कि

भूख लगी थी

सो उठ गई

रात खाना नहीं खाया था

थक गई थी 


पहले वह मेरी कविताएँ पसंद करती थी

फिर मुझे पसंद करने लगी

अब शायद प्यार करती है 


राहुल उपाध्याय । 18 जनवरी 2025 । सिएटल 


बेवफ़ा को तूने हुस्न दिया है

बेवफ़ा को तूने हुस्न दिया है 

बता तुझे क्या-क्या मिला है 


जन्नत और आँसू, ग़म और ख़ुशी 

इनके सिवा और क्या मिला है


दोज़ख़ में है तू, मैं हिज्र का मारा

बता तुझे और क्या मिला है 


न कविता ये मेरी, न ग़ज़ल है कोई

जो भी जोड़ा, बिखरा मिला है 


बेवफ़ा तू क़ातिल शातिर है इतनी 

के जो भी मरा, ज़िन्दा मिला है 


राहुल उपाध्याय । 18 जनवरी 2025 । सिएटल 



Friday, January 17, 2025

जबसे 🤦‍♀️का मतलब

जबसे 🤦‍♀️ का 

मतलब समझ में आया

ज़िन्दगी गुलज़ार है

बागों में बहार है 


मैं अनाड़ी न होता

वह क़ायल न होती

उसकी हँसी पे मैं

घायल न होता 


राहुल उपाध्याय । 17 जनवरी 2025 । सिएटल 


Thursday, January 16, 2025

भूल गए हम भूलना क्या था

भूल गए हम भूलना क्या था

याद रहा बस याद दिलाना


चलते-फिरते मौसम हो तुम

रंग बदलता कौन है इतना


हाथों में जब हाथ नहीं हैं

कौन कहेगा है मेल हमारा


सात हैं दिन और सातों नामी

रातों का तुम नाम बताना


सागर गहरा, खारा पानी

बादल चंचल, प्यास बुझाता


राहुल उपाध्याय । 16 जनवरी 2025 । सिएटल 


Wednesday, January 15, 2025

मैं और मेरा फ़ोन

मैं और मेरा फ़ोन 

अक्सर ये बात करते हैं 

कि वाईफ़ाई न होता तो

क्या ही होता


न कोई कॉल ही आती

न कोई वीडियो में दिखता

तन्हा-तन्हा मैं मायूस होता


वो लड़की जो मुझे चाहती नहीं है

दस बार फ़ोन कर

सौ बार रोती

किससे पूछूँ

किसे बताऊँ 

हाल मैं अपना किसे सुनाऊँ 


ये रिश्ते सारे

वाईफ़ाई से क्यूँ हैं?

हैं तो कोई क़ीमत नहीं है 

हैं नहीं तो कोई ज़िंदगी नहीं है


राहुल उपाध्याय । 15 जनवरी 2025 । सिएटल