मेरा जन्म देवोत्थानी एकादशी को हुआ था
और मुझे देवताओं में विश्वास नहीं है
न ही व्रत-उपवास में
मेरे जन्मदिन के बाद ही
शादी का मुहूर्त निकलता है
और मैं शादीशुदा नहीं हूँ
तैंतीस करोड़ देवताओं
में से हर एक ने
अब तक
मुझे एक-एक रुपया दिया है
जबकि मैंने एक पाई भी दान में नहीं दी है
कुछ तो उलट-फेर है
न देर है, न अंधेर है
या फिर अंधेर ही अंधेर है
राहुल उपाध्याय । 30 अक्टूबर 2025 । सिएटल
 
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