रात के 12 बजे तारीख बदल जाती है
यहीं सोच कर तबियत बहल जाती है
घर बदला, नगर बदला
कुछ नहीं मगर बदला
तस्वीर वहीं रहती है फ़्रेम बदल जाती है
रात के 12 बजे तारीख बदल जाती है
यहीं सोच कर तबियत बहल जाती है
जीवन का कारवां कुछ और बढ़ाया
लाँटरी भी खरीदी प्रसाद भी चढ़ाया
सुना है एसे भी तक़दीर बदल जाती है
रात के 12 बजे तारीख बदल जाती है
यहीं सोच कर तबियत बहल जाती है
मौका हाथ में आते ही
संकट के बादल छाते ही
अच्छे-खासे लोगों की नीयत बदल जाती है
रात के 12 बजे तारीख बदल जाती है
यहीं सोच कर तबियत बहल जाती है
क़मर झुकती है बाल भी पकते हैं
तन-बदन के साथ मन भी बदलते हैं
झूठ है कि आत्मा नहीं काया बदल जाती है
रात के 12 बजे तारीख बदल जाती है
यहीं सोच कर तबियत बहल जाती है
Friday, December 14, 2007
रात के 12 बजे
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