जब journey complete हो जाती है तब life की file delete हो जाती है धन दौलत इज़्ज़त शोहरत देह काया धन माया मौत के बाद obsolete हो जाती है Dean से पहचान हो पैसों की खान हो नदारद ईमान हो अगर ऐसे इंसान हो तो बिन पढ़े लिखे D. Litt. हो जाती है पापी पेट के मारे मिटे वर्ण-भेद सारे डिग्री मिले नौकरी मिले इसलिए हर जाति दलित हो जाती है अंग्रेज़ी बोलने से संगीत पर डोलने से टी-वी देखने से मन के द्वार खोलने से सुना है संस्कृति deplete हो जाती है सिएटल 6 दिसम्बर 2007
Thursday, December 6, 2007
life की file
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:37 PM
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