Monday, December 28, 2009

पहेली 32

उतारे जाते हैं ये
हर रात
सोने के वक़्त
और
वहाँ भी जहाँ
एकत्रित होते हैं
ईश्वर के भक्त

उतरवाए जाते हैं ये
रोज़
ताकि हो सके
सुरक्षा का प्रबंध
और
कभी-कभी
अपने आप ही
उतर जाते हैं ये
जब दिखाई दे जाता है
राजनेता सशक्त

न नशा
न घमंड
न जादू है ये
फिर क्या हैं ये
कि चाहे उड़ें या तैरें
उतारते हैं सब इन्हें आजू-बाजू तेरे

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इस पहेली का उत्तर इसकी अंतिम पंक्ति में छुपा हुआ है।

उदाहरण के लिए देखें
पहेली 30 और उसका उत्तर

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


4 comments:

Udan Tashtari said...

जूते!!!


यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

Sadhana Vaid said...

Certainly 'shoes'.

Sadhana Vaid said...

Certainly 'shoes'.

Stuti Garg said...

Rahulji,

This one was easy to guess- shoes
because of the hint you gave that we leave them outside the temple.
Thanks for great poems and riddles.

Regards to Manju.