Wednesday, February 16, 2011

इससे पहले कि कोई किताब लिखे


इससे पहले कि कोई किताब लिखे
चलो मैं ही एक कविता लिख दूँ
कि
ऑल इंडिया रेडियो छोड़कर
क्यों सारा देश राडिया सुन रहा है?
क्यों रानी बाहर बैठी है
और राजा भुगत रहा है?

यह सब इसलिए कि
लूटने को तो हर कोई लूटे
लेकिन ये कुछ ज्यादा उलीच रहे हैं?

इससे पहले कि आप मुझे गूगले
मैं अपना परिचय खुद ही दे दूँ
मैं हूँ एक अदद एन-आर-आई
जो देश छोड़-छाड़ के बैठा है
जब-जब देश गर्त में जाता
तब-तब शांति पाता है
कितना दूरदर्शी था मैं देखो
पुष्टीकरण हो जाता है

इससे पहले कि कोई मुझसे पूछे
मैं खुद से पूछ रहा हूँ
जिस संवाद का कोई निष्कर्ष नहीं हो
उस संवाद का प्रयोजन क्या है?

सिएटल,
16 फ़रवरी 2011

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