उनकी 'बस' में
उनके बस में थी
और जब बे-'बस' हुई
तो और भी बेबस हुई
समाज के आकाओं को
जब सुपुर्द हुई
40 मिनट में पर्ची कटी थी
नाम क्या है?
उम्र क्या है?
साथ कौन है?
क्यूँ भिड़ा था?
इसका-तुम्हारा
क्या आँकड़ा है?
खून बहता है तो बहता रहे
घाव बढ़ता है तो बढ़ता रहे
फ़र्म तो भरना है, सो आप भरते रहें
बिन पैसे इलाज होता नहीं है
खैरात में काम होता नही है
डॉक्टर-नर्स को कुछ देना होगा
इसलिए आपसे कुछ लेना होगा
और जब बवाल हद से बड़ जाए
पासपोर्ट-प्लेन सब मिल जाए
पी-एम जाए एयरपोर्ट लिवाने
कवि लगे कविता सुनाने
मेरे देश के नेता सोना निगले
निगले हीरे मोती
चिंतन शिविर में राहुल चमका
यही है चिंता होती
ज्योति जली थी
जला के मिटा दी गई
जनता जगी थी
बहला के भटका दी गई
किसी न किसी मसले में
उलझा दी गई
क्रिकेट के लफ़ड़े
सीमाओं के झंझट
ओवैसी की बकबक
फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स
पद्मश्री पुरुस्कार
इन सब के बीच
दब गया हाहाकार
और छाने लगे
अविश्वसनीय भारत
के इश्तेहार
31 जनवरी 2013
सिएटल । 513-341-6798