हे भगवन!
इतनी बड़ी दुनिया में
किस आईकॉन पे मैं क्लिक करूँ
ताकि हम और तुम क्लिक हो सकें
युगों-युगों के बंधन तोड़ के
एक दूसरे से जुड़ सकें
कैसे मैं खूद को रिबूट करूँ
ताकि सारे विकार मिट जाए
केश सारा क्लियर हो जाए
मन के पूर्वाग्रह छट जाए
ये दुनिया तेरी
ये सिस्टम तेरा
फिर क्यूँ न एक
विज़न भी हो
पाप हो तो
पॉप-अप भी हो
सपोर्ट का
कोई नम्बर भी हो
ऑनलाईन हो
ऑफ़लाईन हो
हेल्प का कोई प्रोविज़न भी हो
यूँ बार-बार
हमें रिसाईकल न कर
मोटा-पतला-छोटा न कर
जो हो गया सो हो गया
यूँ बार-बार
हमें दफ़ा न कर
काम क्या है
प्रयोजन क्या है
कुछ तो हमें बताया भी कर
13 जनवरी 2013
सिएटल । 513-341-6798
==================
आईकॉन = icon
क्लिक = click
रिबूट = reboot
केश = cache
क्लियर = clear
सिस्टम = system
विज़न = vision
पॉप-अप = pop-up
सपोर्ट = support
ऑनलाईन = online
ऑफ़लाईन = offline
हेल्प = help
प्रोविज़न = provision
रिसाईकल = recycle
इतनी बड़ी दुनिया में
किस आईकॉन पे मैं क्लिक करूँ
ताकि हम और तुम क्लिक हो सकें
युगों-युगों के बंधन तोड़ के
एक दूसरे से जुड़ सकें
कैसे मैं खूद को रिबूट करूँ
ताकि सारे विकार मिट जाए
केश सारा क्लियर हो जाए
मन के पूर्वाग्रह छट जाए
ये दुनिया तेरी
ये सिस्टम तेरा
फिर क्यूँ न एक
विज़न भी हो
पाप हो तो
पॉप-अप भी हो
सपोर्ट का
कोई नम्बर भी हो
ऑनलाईन हो
ऑफ़लाईन हो
हेल्प का कोई प्रोविज़न भी हो
यूँ बार-बार
हमें रिसाईकल न कर
मोटा-पतला-छोटा न कर
जो हो गया सो हो गया
यूँ बार-बार
हमें दफ़ा न कर
काम क्या है
प्रयोजन क्या है
कुछ तो हमें बताया भी कर
13 जनवरी 2013
सिएटल । 513-341-6798
==================
आईकॉन = icon
क्लिक = click
रिबूट = reboot
केश = cache
क्लियर = clear
सिस्टम = system
विज़न = vision
पॉप-अप = pop-up
सपोर्ट = support
ऑनलाईन = online
ऑफ़लाईन = offline
हेल्प = help
प्रोविज़न = provision
रिसाईकल = recycle
2 comments:
बहुत मज़ेदार कविता है - digital age के लिए एक दम perfect! एक meaningful प्रार्थना भी है भगवान से...
मेरे ख़याल से उनसे connect होने का रास्ता आसान है: उन्हें अपने दिल में जगह देना, नियमित रूप से उनके लिए समय निकालना, रटे हुए श्लोकों की जगह सरल शब्दों में दिल की बात करना, अपने दुःख-दर्द और खुशियाँ बताना - बस यही सब चाहिए उनसे जुड़ने के लिए।
लेकिन इस तेज़-रफ़्तार जीवन में यह सब करना मुश्किल है। हम भागते हुए उनके पास आते हैं (अगर समय हो तो), कुछ रटे हुए शब्द बोलते हैं, और फिर जीवन की दौड़ में जुट जाते हैं। आपने "हम सब एक हैं" में सही कहा है कि:
"तत्काल परिणाम की आदत है सबको
माइक्रोवेव में तो रिश्ता पकता नहीं..."
शायद इसी लिए हम उन्हें जान नहीं पाते, उनसे गहरा रिश्ता बना नहीं पाते, click नहीं हो पाते...
"पाप हो तो
पॉप-अप भी हो" - बहुत ही funny है! :)
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