Tuesday, January 15, 2013

ऑल-इण्डिया-रेडियो

लोगों को सपने आते हैं
मुझे गाने आते हैं


कुछ दिनों से
दिल ऑल-इण्डिया-रेडियो हो गया है
गाता है
गुनगुनाता है
अजीब-अजीब से गाने
(गाने क्या, गानों के टुकड़े)
सुनाता चला जाता है


(जैसे टुकड़ा #1:
तुम रूठा न करो मेरी जाँ मेरी जान निकल जाती है
तुम हँसती रहती हो तो इक बिजली सी चमक जाती है


टुकड़ा #2:
रोज़ आती हो तुम ख़यालों में
ज़िंदगी में भी मेरी आ जाओ
बीत जाए न ये सवालों में
इस जवानी पे कुछ तरस खाओ


टुकड़ा #3:
पूछे कोई कि दिल को कहाँ छोड़ आये हैं
किस किस से अपना रिश्ता-ए-जाँ जोड़ आये हैं


टुकड़ा #4:
न देंगे हम तुझे इलज़ाम बेवफ़ाई का
मगर गिला तो करेंगे तेरी जुदाई का)


रेडियो होता
तो कान मरोड़ के
स्टेशन बदल देता
इधर-उधर की
कुछ खबरें सुन लेता


लेकिन दिल और दिमाग की
सुई कैसे घुमाऊँ?
वो एक
जिसे मैं भूला नहीं पाया
कैसे भुलाऊँ?


15 जनवरी 2013
सिएटल । 513-341-6798

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3 comments:

Anonymous said...

"लोगों को सपने आते हैं
मुझे गाने आते हैं"

पहली दो lines में सपनों और गानों की analogy बहुत ही बढ़िया लगी! जो गाने आपको याद आ रहे हैं, सब बहुत प्यारे हैं, इसलिए station मत बदलिए, गाते रहिये.

Anonymous said...

अगर फिर भी station बदलना ही है तो ख़बरों की जगह "अलसाते गीत" कविता के किसी radio station को चुन लीजिये :)

"रेडियो सिलोन या विविध भारती?
ऑल इंडिया रेडियो की उर्दू सर्विस
या रेडियो नेपाल के अलसाते गीत?"

Anonymous said...

"वो एक
जिसे मैं भूला नहीं पाया
कैसे भुलाऊँ?"

इस problem के लिए "मैं भूल जाता हूँ अक्सर" कविता में बताया हुआ solution try करिये :)

"तुम्हें भूलना
मैं भूल जाता हूँ अक्सर...

सोचता हूँ
एक प्रोग्राम बना लूँ
कैलेंडर में
एक रिमाईंडर लगा दूँ
जो हर दूसरे दिन
तुम्हें भुलाना है
मुझे याद दिला दे"