उसे भूल जाऊँ
ये मुमकिन नहीं है
उसे याद आऊँ
ये मुमकिन नहीं है
सफ़र में मिलेंगे
चेहरे हज़ारों
उसे देख पाऊँ
ये मुमकिन नहीं है
सुनूँगा तराने
महफ़िलों में लाखों
उसे सुन पाऊँ
ये मुमकिन नहीं है
शब हो, सुबह हो
यहाँ हो, वहाँ हो
उसे दूर पाऊँ
ये मुमकिन नहीं है
न जाम है, न साक़ी
न सुराही कहीं है
होश में मैं आऊँ
ये मुमकिन नहीं है
9 अक्टूबर 2017
सिएटल | 425-445-0827
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