Monday, October 9, 2017

उसे भूल जाऊँ ये मुमकिन नहीं है

उसे भूल जाऊँ 

ये मुमकिन नहीं है

उसे याद आऊँ 

ये मुमकिन नहीं है


सफ़र में मिलेंगे

चेहरे हज़ारों 

उसे देख पाऊँ 

ये मुमकिन नहीं है


सुनूँगा तराने

महफ़िलों में लाखों 

उसे सुन पाऊँ 

ये मुमकिन नहीं है


शब हो, सुबह हो

यहाँ हो, वहाँ हो

उसे दूर पाऊँ 

ये मुमकिन नहीं है


जाम है, साक़ी

सुराही कहीं है

होश में मैं आऊँ 

ये मुमकिन नहीं है


9 अक्टूबर 2017

सिएटल | 425-445-0827

http://mere--words.blogspot.com/


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