जिनको जो कहना था
सब कह चुके
अब मैं क्या बोलूँ
क्यूँ मैं बोलूँ
मुझपे न तलवार
सोशल मीडिया पर
हर विषय पर
कुछ न कुछ
बकते रहना
है मेरा भी
मूल अधिकार
दो अक्टूबर को
शास्त्री जी ही नहीं
गांधी जी भी जन्मे थे
याद दिलाया किसी ने
तो कहा किसी ने
राष्ट्र का नहीं होता बाप
अहिंसा नहीं
हिंसा ही
कारगर एक उपचार
दिवस आते
दिवस जाते
आते-जाते वार
हर वार पे वार है मेरा
त्योरियाँ हैं तैयार
जो पढ़ूँ
करूँ उसका खंडन
चिथड़े करूँ मैं चार
रखता तेज़ अपनी धार
राहुल उपाध्याय । 4 अक्टूबर 2025 । सिएटल
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