Monday, October 13, 2025

हम लाए हैं

हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के 

इस 'पीस' को रखना मेरे बच्चों सम्हाल के


किस देश की परवाह नहीं कोई कह तो दे हमें 

हम रखते हैं क़दम एक-एक देखभाल के 


आओगे यहीं ओर कहाँ जाओगे भला 

भड़ास अभी निकाल लो कुछ बोल-बाल के 


हाँ कह दी है, कह दी है बात साफ़-साफ़ 

गुज़र गए हैं दिन अब शब्दों के जाल के 


सीधी-सीधी बात क्यों न समझ में आ रही

क्यों खेलते हो आग से जुमले उछाल के


राहुल उपाध्याय । 13 अक्टूबर 2025 । सिएटल 



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