हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस 'पीस' को रखना मेरे बच्चों सम्हाल के
किस देश की परवाह नहीं कोई कह तो दे हमें
हम रखते हैं क़दम एक-एक देखभाल के
आओगे यहीं ओर कहाँ जाओगे भला
भड़ास अभी निकाल लो कुछ बोल-बाल के
हाँ कह दी है, कह दी है बात साफ़-साफ़
गुज़र गए हैं दिन अब शब्दों के जाल के
सीधी-सीधी बात क्यों न समझ में आ रही
क्यों खेलते हो आग से जुमले उछाल के
राहुल उपाध्याय । 13 अक्टूबर 2025 । सिएटल

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