Saturday, October 25, 2025

कोई रुलाता है

कोई रुलाता है तो आता है फ़ोन उसका 

वरना इस जहाँ में है कौन किसका 


अपनी-अपनी दुनिया है सबकी 

दे के मुस्कान हर कोई खिसका 


चलो किसी को अपना बना लें सोचते ही सारा ख़ुमार है पिचका


उठते-बैठते टूटे संबंध हज़ारों 

तोड़ ही देता है पीठ हल्का सा तिनका 


आँखों में कहाँ हैं अब प्यार किसी के 

वैक्सीन वालों को नहीं रोग का चस्का


राहुल उपाध्याय । 25 अक्टूबर 2025 । सिएटल 




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