ख़ुदा माना
तो शिकायत कैसी
ख़ुदा नहीं
तो मोहब्बत कैसी
तू ख़ुशबू है
मिल्कियत नहीं
तुझे पाने की
जुर्रत कैसी
तू सुख है, तू दुख है
तुझसे ही सब-कुछ है
तू बदले ना
ये चाहत कैसी
तू फ़ोन करे
मैं बात करूँ
इससे बढ़कर
जन्नत कैसी
तू साथ नहीं
और साथ भी है
ये दूर-दूर से
कुर्बत कैसी
राहुल उपाध्याय । 10 अक्टूबर 2025 । सिएटल
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