Friday, October 10, 2025

ख़ुदा माना

ख़ुदा माना

तो शिकायत कैसी 

ख़ुदा नहीं 

तो मोहब्बत कैसी 


तू ख़ुशबू है

मिल्कियत नहीं 

तुझे पाने की

जुर्रत कैसी


तू सुख है, तू दुख है

तुझसे ही सब-कुछ है

तू बदले ना

ये चाहत कैसी


तू फ़ोन करे

मैं बात करूँ 

इससे बढ़कर 

जन्नत कैसी


तू साथ नहीं 

और साथ भी है 

ये दूर-दूर से

कुर्बत कैसी


राहुल उपाध्याय । 10 अक्टूबर 2025 । सिएटल





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4 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 13 अक्टूबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

हरीश कुमार said...

बहुत सुंदर

सुशील कुमार जोशी said...

सुंदर

नूपुरं noopuram said...

बेबाक अंदाज़ ! स्वागत है ।