ख़ुदा माना
तो शिकायत कैसी
ख़ुदा नहीं
तो मोहब्बत कैसी
तू ख़ुशबू है
मिल्कियत नहीं
तुझे पाने की
जुर्रत कैसी
तू सुख है, तू दुख है
तुझसे ही सब-कुछ है
तू बदले ना
ये चाहत कैसी
तू फ़ोन करे
मैं बात करूँ
इससे बढ़कर
जन्नत कैसी
तू साथ नहीं
और साथ भी है
ये दूर-दूर से
कुर्बत कैसी
राहुल उपाध्याय । 10 अक्टूबर 2025 । सिएटल

4 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 13 अक्टूबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
बहुत सुंदर
सुंदर
बेबाक अंदाज़ ! स्वागत है ।
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