बात-बात पर आप क्यूँ
मचा रहें उत्पात
पहले सम्हालिए देवता
फिर करें नेताओं की बात
जिन्हें आप हैं पूजते
वे भी करते थे भाई-भतीजावाद
कैकयी की एक ज़िद पर
कर दिया अयोध्या बर्बाद
कैकयी जिन्हें थी चाहतीं
वे ही बने युवराज
सोनिया जिन्हें हैं चाहतीं
क्यों न करें वे राज?
सोनिया की भारतीयता पर
उचित नहीं कोई प्रहार
कैकयी भी नहीं थीं रघुवंश की
वे थीं एक पराई नार
न कृष्ण ने पूजा राम को
न अर्जुन गए राम-मंदिर
फिर भी आप आज भी
क्यों भजते हैं जय रघुबीर?
त्रेतायुग हो, द्वापर युग हो
या फिर हो सतयुग
हर युग का अपना एक ढंग है
हर युग का है एक रूप
समय के साथ जो चलते रहें
पहनें उन्होंने हार
लकीर के फ़कीर जो बने रहें
उन्हें मिली है हार
सिएटल 425-445-0827
29 मई 2009
Friday, May 29, 2009
जय रघुबीर
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2 comments:
Suvival of the fittest सोच पर आधारित यह अच्छी रचना है। वाह राहुल जी।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
Pathetic thoughts of a loser!
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