हम थे अलग
इसलिए हुए अलग
या
हुए अलग
इसलिए अब हैं अलग?
'बिग बैंग' के नाद ने हमें
कर दिया जिनसे दूर
कोशिश उनसे मिलने की
हम करते हैं भरपूर
लेकिन पास-पड़ोस में जो रहते हैं
उनसे करें न प्यार
खड़ी हैं कई दीवारें
जिनके बंद पड़े हैं द्वार
छोटी सी इस धरती पर
जब-जब खींची गई रेखाएँ
नए-नए परचम बने हैं
और गढ़ी गई कई गाथाएँ
अब सब खुद को हसीं बताते हैं
और औरों की हँसी उड़ाते हैं
हम ऐसे हैं, हम वैसे हैं
कह-कह के वैमनस्य बढ़ाते हैं
हम सही और तुम गलत
जब राष्ट्र-प्रेम के परिचायक बन जाते हैं
तब इस वाद-विवाद की वादी में
हम सुध-बुध अपनी खोने लगते हैं
और दूर दराज के ग्रहों पर
विवेक खोजने लग जाते हैं
सिएटल,
11 अगस्त 2009
Tuesday, August 11, 2009
15 अगस्त की याद में
Posted by Rahul Upadhyaya at 12:51 PM
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2 comments:
सत्य वचन
Sabke saath aisaa hota hai.
{ Treasurer-S, T }
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