Thursday, August 20, 2009

मस्त-मौला चाँद

होता होगा सूरज में
चाँद से ज्यादा प्रकाश
लेकिन चाँद भी अपना मस्त है
और सूरज से कम नहीं है खास

एक राज़ की बात बताऊँ?
चाँद है निर्भीक
और सूरज है डरपोक
तभी तो रात को कभी बाहर निकलता नहीं है

और चाँद?
अपनी मर्जी का मालिक
अपनी धुन में मस्त
जब मन चाहे उगे
जब चाहे अस्त

न सूरज से डरे
न तारों से डरे
सब के सामने
सर उठा के चले

और कभी कभी तो
ऐसी गोली दे जाए
कि कहीं न दिखे

अरे भई
किसी के बाप के नौकर थोड़े ही है
जो रोज-रोज अपनी सूरत दिखाते फिरे?

सिएटल 425-898-9325
20 अगस्त 2009

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2 comments:

अनूप शुक्ल said...

माफ़िया तो नही कहीं चांद!

ओम आर्य said...

अरे चान्द को आपने क्या बना दिया .....बहुत ही खुब