जीत गया भई जीत गया
इंडिया वाला जीत गया
गोरों की जमात में
बंदा अपना दिख गया
नाम ही अपने कुछ ऐसे हैं
कि दूर से पहचान लेते हैं
ये दक्षिण का है
ये अहिंदी है
बिन बोले ताड़ लेते हैं
एक बार फिर वही जीता है
जो अंग्रेज़ी बोलना सीख गया
सीख गया भई सीख गया
इंडिया वाला सीख गया
आत्मसम्मान खो के वो
सम्मान पाना सीख गया
भाषा से विचार बनें
और विचार से आचार
जो माँ की बोली बोल न पाए
वो माँ से करेगा क्या प्यार
सोने चाँदी के टुकड़ों पे
माँ का दूध फिर आज बिक गया
बिक गया भई बिक गया
इंडिया वाला बिक गया
गरीबी और बेरोज़गारी में
माँ से माँ का लाल छीन गया
ज्ञान-विज्ञान की भाषा में
कहीं दिल की बात भी होती है?
लाख चांदनी रात में हो
रात तो रात ही होती है
वो जब समझेगा तब समझेगा
आज तो बंदा हिट गया
हिट गया भई हिट गया
इंडिया वाला हिट गया
दूर-दराज की रोशनी पे
नूर अपना मर-मिट गया
सिएटल 425-898-9325
7 अक्टूबर 2009
Wednesday, October 7, 2009
जीत गया भई जीत गया
Posted by Rahul Upadhyaya at 4:05 PM
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2 comments:
चलिये, जीत गया..अच्छा हुआ. :)
बहुत ईमानदार सरल-सी अभिव्यक्ति है......अपने देश से दूर रहते हुए ऐसा होता है....
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