Wednesday, May 2, 2012

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की



कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की
बहुत खूबसूरत मगर सांवली सी
चलो चेक करूँ ई-मेल आती ही होगी
कह कह के लॉगिन करती तो होगी
कोई कॉल शायद मिस हो गया हो
सेल फोन बार बार देखती तो होगी
और फिर फोन की घंटी बजते ही वो
उसी फोन से डर डर जाती तो होगी

चलो पिंग करूँ जी में आता तो होगा
मगर उंगलियां कँप-कँपाती तो होंगी
माऊस हाथ से छूट जाता तो होगा
उमंगें माऊस फिर उठाती तो होंगी
मेरे नाम खास ईमोटिकॉन सोचकर
वो दांतों में उँगली दबाती तो होगी

चलो देखूँ क्या कुछ नया हो रहा है
कह कह के फ़ेसबुक पे आती तो होगी
कोई 'अपडेट' शायद मिस हो गया हो
बार-बार टाईम-लाईन टटोलती तो होगी
मेरी 'अपडेट' में ख़ुद को कविता में पाकर
बदन धीमे धीमे सुलगता तो होगा
लिखूँ कमेंट जी में आता तो होगा
कीबोर्ड पे उंगली थरथराती तो होगी
कई बार मन की उमंगो को लिख कर
वो ’कैन्सल’ बटन फ़िर दबाती तो होगी

(कमाल अमरोही से क्षमायाचना सहित)

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2 comments:

मुकेश पाण्डेय चन्दन said...

bahut badhiya

Unknown said...

चलो पिंग करूँ जी में आता तो होगा
मगर उंगलियां कँप-कँपाती तो होंगी
माऊस हाथ से छूट जाता तो होगा
उमंगें माऊस फिर उठाती तो होंगी

Very nice , a good gel of modern times with poetry.... keep writing