प्यार का पहला ख़त
पढ़ने में वक़्त तो लगता है
दिल की धड़कन को
थमने में वक़्त तो लगता है
क्या कोई कहीं बात छुपी है?
क्या पढ़ना मैं भूल गया?
पंक्तियों के बीच में
पढ़ने में वक़्त तो लगता है
कैसे खींची होगी उसने
माथे पे वो बिंदी काली?
नए-पुराने प्रतीकों को
सुलझने में वक़्त तो लगता है
मेरे नाम का "हु" है ऐसा
टेढ़ा-मेढ़ा और चुटीला
अपने-आप को दर्पण में
निरखने में वक़्त तो लगता है
जाके कह दूँ बात किसी से
या रख लूँ दिल ही के अंदर?
तरह-तरह की उमंगों को
दबने में वक़्त तो लगता है
ता-उम्र रखूँ मैं साथ इसे
या कर दूँ भस्म आज इसे?
ऐसे-वैसे प्रश्नों से
निपटने में वक़्त तो लगता है
काया हो या चिट्ठी कोई
एक दिन जल के राख भी होगी
सुर और सुगंध की यादों को
मिटने में वक़्त तो लगता है
(हस्तीमल हस्ती से क्षमायाचना सहित)
12 अप्रैल 2013
सिएटल । 513-341-6798
पढ़ने में वक़्त तो लगता है
दिल की धड़कन को
थमने में वक़्त तो लगता है
क्या कोई कहीं बात छुपी है?
क्या पढ़ना मैं भूल गया?
पंक्तियों के बीच में
पढ़ने में वक़्त तो लगता है
कैसे खींची होगी उसने
माथे पे वो बिंदी काली?
नए-पुराने प्रतीकों को
सुलझने में वक़्त तो लगता है
मेरे नाम का "हु" है ऐसा
टेढ़ा-मेढ़ा और चुटीला
अपने-आप को दर्पण में
निरखने में वक़्त तो लगता है
जाके कह दूँ बात किसी से
या रख लूँ दिल ही के अंदर?
तरह-तरह की उमंगों को
दबने में वक़्त तो लगता है
ता-उम्र रखूँ मैं साथ इसे
या कर दूँ भस्म आज इसे?
ऐसे-वैसे प्रश्नों से
निपटने में वक़्त तो लगता है
काया हो या चिट्ठी कोई
एक दिन जल के राख भी होगी
सुर और सुगंध की यादों को
मिटने में वक़्त तो लगता है
(हस्तीमल हस्ती से क्षमायाचना सहित)
12 अप्रैल 2013
सिएटल । 513-341-6798
2 comments:
बहुत प्यारी रचना है!
प्यार का पहला ख़त जल कर राख हो सकता है मगर उसे पढ़ने का एहसास और उससे जुड़ी ख़ुशबू दिल में फिर भी रहती है। बहुत नर्म और सुंदर बात कहती है यह कविता।
हस्तीजी की ग़ज़ल याद थी। उनके नाम पर क्लिक करके उनके बारे में कुछ और जानकारी मिली। लिंक के लिए धन्यवाद।
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