Wednesday, April 17, 2013

तुम अगर मुझको न 'लाईक' करो तो कोई बात नहीं

तुम अगर मुझको न 'लाईक' करो तो कोई बात नहीं
तुम किसी और को 'लाईक' करोगी तो मुश्किल होगी

अब अगर ई-मेल नहीं है तो बुराई भी नहीं
न कहा 'हाय' तो कहा 'बाई' भी नहीं
ये सहारा भी बहुत है मेरे जीने के लिये
न बना 'फ़्रेंड' तो बना भाई भी नहीं
तुम अगर मुझको न 'फ़्रेंड' बनाओ तो कोई बात नहीं
तुम किसी और को 'फ़्रेंड' बनाओगी तो मुश्किल होगी

तुम हसीं हो, तुम्हें सब प्यार ही करते होंगे
मैं जो लिखता हूँ तो क्या और भी लिखते होंगे
सब की शायरी में इसी शौक़ का तूफ़ां होगा
सब की कविताओं में यही दर्द उभरते होंगे
मेरी कविताओं पे 'कमेंट'  न दो तो कोई बात नहीं
किसी और को 'कमेंट' दोगी तो मुश्किल होगी

फूल की तरह हँसो, सब की निगाहों में रहो
अपनी मासूम जवानी की पनाहों में रहो
मुझको वो फोटो न दिखाना तुम्हें अपनी ही क़सम
मैं तरसता रहूँ तुम गैर की बाहों में रहो
तुम अगर मुझसे न निभाओ तो कोई बात नहीं
किसी दुश्मन से निभाओगी तो मुश्किल होगी

(साहिर से क्षमायाचना सहित)
17 अप्रैल 2013
सिएटल । 513-341-6798

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें
Sahir
TG
parodies


3 comments:

Anonymous said...

कविता बार-बार पढ़ी और बार-बार ज़ोर से हंसी आयी! :)

सबसे funny लगी यह line: "न बना 'फ़्रेंड' तो बना भाई भी नहीं" - कितना अच्छा होता अगर Facebook में एक button भाई/बहन बनाने का भी होता :)

बहुत ही बढ़िया parody है!

Unknown said...

amazing....very good

Rohit Singh said...

क्या बात है ..शानदार अच्छी तरह से लपेटा है facebook को