कैमरा न होता
तो सगाई न होती
स्टेज पे चढ़ कर
बत्ती-सी बत्तीसी चमकाई न होती
कैमरे बिना
कोई ट्रिप पूरी होती नहीं है
गए ताजमहल और वहाँ का फोटो नहीं है?
तो जाकर भी भाईजान आप वहाँ गए नहीं हैं!
कैमरा न हो
तो जन्मदिन तो आते हैं
लेकिन वो जन्मदिन मनते नहीं हैं
बाढ़ पीड़ित बाढ़ पीड़ित लगते नहीं हैं
कपड़े और कम्बल उन्हें मिलते नहीं हैं
कैमरा न हो
तो कंधे से कंधा मिला के हम खड़े होते नहीं है
बच्चों को गोद में लेते नहीं हैं
अंक में उन्हें अपने भरते नहीं हैं
कैमरे के बिना
हम जीवन तो जीते हैं
लेकिन कोई दूसरा देख लेगा
तो क्या सोचेगा
इसके बारे में ज़रा भी सोचते नहीं हैं
....
इसलिए अब सदा मुस्कराता हूँ मैं
23 अप्रैल 2013
सिएटल । 513-341-6798
तो सगाई न होती
स्टेज पे चढ़ कर
बत्ती-सी बत्तीसी चमकाई न होती
कैमरे बिना
कोई ट्रिप पूरी होती नहीं है
गए ताजमहल और वहाँ का फोटो नहीं है?
तो जाकर भी भाईजान आप वहाँ गए नहीं हैं!
कैमरा न हो
तो जन्मदिन तो आते हैं
लेकिन वो जन्मदिन मनते नहीं हैं
बाढ़ पीड़ित बाढ़ पीड़ित लगते नहीं हैं
कपड़े और कम्बल उन्हें मिलते नहीं हैं
कैमरा न हो
तो कंधे से कंधा मिला के हम खड़े होते नहीं है
बच्चों को गोद में लेते नहीं हैं
अंक में उन्हें अपने भरते नहीं हैं
कैमरे के बिना
हम जीवन तो जीते हैं
लेकिन कोई दूसरा देख लेगा
तो क्या सोचेगा
इसके बारे में ज़रा भी सोचते नहीं हैं
....
इसलिए अब सदा मुस्कराता हूँ मैं
23 अप्रैल 2013
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
आपकी observation बिलकुल ठीक है कि कुछ लोग सिर्फ़ फ़ोटो में ही साथ खड़े हुए दिखायी देते हैं - picture perfect shots हमेशा हक़ीक़त नहीं दिखाते।
फ़ोटो ख़ुशी के पलों को बाद में याद रखने के काम आती हैं। अच्छा ही है कि हम दुख के पलों की फ़ोटो नहीं लेते। अगर लेते तो उनकी यादें भी सदा ताज़ा रहतीं।
"बत्ती-सी" और "बत्तिसी" का wordplay बहुत अच्छा लगा! आख़री की line - इस लिए अब सदा मुसकुराता हूँ मैं - से ending अच्छी लगी!
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