Saturday, October 13, 2018

दुश्मनी किसी से नहीं

दुश्मनी किसी से नहीं 
बेरूखी सब से हैं
आपका तो मालूम नहीं 
सुखी हम तब से हैं

शाम-सुबह की बात नहीं 
बात हर घड़ी की है
घड़ी चले ना चले
धड़कनें बस में हैं

लेन-देन की कालिख में 
इन्सान कहाँ बचता है
रिश्ता-नाता जो भी कहे
तोड़ लिया मज़हब से है

सिरफिरों की जमात में 
सिर कौन झुकाएगा
कहनेवाले कहते रहे कि
शऊर नहीं हम में हैं

14 अक्टूबर 2018
सैलाना





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