Tuesday, October 2, 2018

क़ानून?

क़ानून?
क़ानून क्या होता है?
समाज जो चाहे वही होता है
धर्मेन्द्र दो शादी करते हैं
बाल-विवाह आज भी होता है
मन-मर्ज़ी से शादी करने वाले
घरवालों द्वारा मार दिए जाते हैं
रिश्वत दी-ली जाती है
कर-चोरी में हम सब भागीदार हैं

सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट क्या चीज़ है,
जब हम ख़ुद के बनाए उसूल तोड़ देते हैं
रोज क़सम हम लेते हैं
रोज क़सम हम तोड़ देते हैं 
अपवादों की सूचियाँ लम्बी हैं
कहने को हम कह देते हैं कि
हमारे घर में सबका स्वागत है
लेकिन तब तक जब तक 
जाने का समय तय है
और सब?
सब में वही सब शामिल हैं
जिनके साथ हमारा स्तर मिलता हो

क़ानून की नज़रों में भी सब कहाँ बराबर है?
कोई उपर बैठकर सुनता है
कोई नीचे से जिरह करता है
और बीच में कटघरा मुँह ताकता रहता है

2 अक्टूबर 2018
सिएटल 

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