Monday, October 15, 2018

तीन साल हुए उसे गुज़रे हुए

तीन साल हुए उसे गुज़रे हुए
और लिंकड-इन कह रहा है कि
उसे जन्मदिन की शुभकामनाएँ दूँ

-आई का बस चलता तो
मेरी तरफ़ से शुभकामनाएँ दे भी दी जातीं
वह उन्हें स्वीकार भी लेता और 
मुझसे पूछ भी लेता कि
तुम कैसे हो? सब ठीक चल रहा है

सूक्ष्म तौर पर 
जड़ में चेतन है
या जड़ और चेतन एक ही हैं
और यह उसकी पराकाष्ठा का एक नमूना होता

लेकिन 
वह जो जीता है
महकता है
लहलहाता है
क्षुब्ध होता है
वह स्थूल पुंज है

स्थूल नहीं तो कुछ नहीं 
सिर्फ एक सपाट, लम्बा सन्नाटा

16 अक्टूबर 2018
सिएटल

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1 comments:

rajendra nigam"raj" said...

वास्तविकता को दर्शाती हुई रचना।
बहुत खूबसूरत, वाह वाह!!!