मुझसे ख़फ़ा
मुझ ही से ख़ुश
मान न मान
मैं तेरा महबूब
न तू मुझसे
न मैं तूझसे जुदा
सच तो यही कि
तू मेरा वजूद
करी वफ़ाएँ
करी जफ़ाएँ
हर हाल है सादिक़
तेरा सलूक
न तूझे पता
न मुझे पता
कौन किसके नशे में
कितना है चूर
ख़्वाबों में तू
ख़यालों में तू
तू पास ही है
होके भी दूर
राहुल उपाध्याय । 31 जनवरी 2020 । सिएटल