जबसे जाना कि जाना है
छोड़ा हर फसाना है
न महबूब, न कोई प्रियतम
न कोई जान-ए-जाना है
तेरी मेरी बिसात है क्या
जग सारा बेगाना है
किस-किस को सर पे बिठाए
ठोकर में सारा ज़माना है
सम्बन्धों की नुमाईश में
नम्बर न हमें लगाना है
चाहे जो वो कर ही डाले
'राहुल' बड़ा दीवाना है
राहुल उपाध्याय । 4 जनवरी 2020 । सिएटल
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